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Daridra Dahan Shiv Stotra Lyrics दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्रं

Shiva

ऋषि वसिष्ठ के द्वारा लिखा गया यह स्तोत्र महादेव शिव को समर्पित है, यह स्तोत्र भगवान् शिव की दारिद्रहारी छवि का सुमिरन करता है, मान्यता है कि इस स्तोत्र का नित्य पाठ दारिद्र या गरीबी के दुःख से मुक्ति देता है।

साधक को चाहिए कि वह तन और मन से पवित्र होकर और शिव में विशवास रखकर यह पाठ करे, ऐसा करने पर उसे मन की सुखद शान्ति प्राप्त होती है।

Daridrya Dahana Stotram Lyrics in Hindi

।अथ श्रीवशिष्ठमुनि विरचितं शिव दारिद्र्यदहनस्तोत्रम्।

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखर-धारणाय।
कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय ।1।

जो ब्रह्मांड के स्वामी हैं, जो मुसीबतों के समुद्र को पार करने में मदद करते हैं, जो कानों (कर्णों) के लिए सुखद हैं, जो अर्धचंद्र को आभूषण के रूप में धारण करते हैं, जो कपूर की ज्वाला के समान श्वेत हैं, जो बिना कंघी किये हुए और लम्बे बाल धारण करते हैं, उन दरिद्रता (गरीबी) के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गंगाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय ।2।

जो गौरी (पार्वती) के प्रिय हैं, जो रजनीश (अर्धचंद्र) को अपने आभूषण के रूप में पहेनते हैं, सबको अंत करने वाले काल का भी जो अंत करते हैं, सर्पों के राजा जिनके हाथों में बंधे (चूड़ियों की तरह) रहते हैं, जो गंगा को धारण करते हैं, हाथियों के राजा का जिन्होंने वध किया, उन दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय दारिद्र्यदुःख दहनाय नमः शिवाय ।3।

जो अपने भक्तों के प्रिय हैं, रोगों के भय का जो नाश करते हैं, जो उग्र (भयंकर) छवि वाले हैं, जो इस दुर्गम भवसागर से तारने वाले हैं, जो ज्योतिपूर्ण (तेजमय) हैं, जो अपने गुणी नामों से पूर्ण होकर सुन्दर नृत्य करते हैं, उन दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डल मण्डिताय।
मंझीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ।4।

[बाघ का] चर्म जिनका वस्त्र है, जो शवों की भस्म का शरीर पर लेप करते हैं, जिनके मस्तक पर नेत्र है, जो मणियों से सजे हुए कुंडल पहनते हैं, जो अपने पैरों में चमकते हुए चूड़े पहनते हैं और जो जटाधारी हैं, उन दरिद्रता के दुःख का नाश करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ।5।

जिनके पांच चेहरे [मुख] हैं, जो सर्पों के राजा को आभूषण की तरह पहनते हैं, जो स्वर्ण के समान चमकता वस्त्र [बाघ का चरम] पहनते हैं, जो तीनों लोकों में सुसज्जित हैं, जो वरदान देने वाले हैं, जो आनंद के सागर हैं, जो अन्धकार का रूप हैं, उन दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ।6।

जो सूर्य देव के प्रिय हैं, जो भवसागर से तारने वाले हैं, जो काल का भी अंत करने वाले हैं, जो कमलासन [कमल पर निवास करने वाले ब्रह्मा] के द्वारा पूजित हैं, जो त्रिनेत्रधारी और शुभ गुणों से परिपूर्ण हैं, उन दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्य भरिताय सुरार्चिताय दारिद्र्य दुःख दहनाय नमः शिवाय ।7।

जो राम के प्रिय हैं, जिन्होंने रघुनाथ जी को वर दिया था, जो नागों के प्रिय हैं, जो नरक से भी अपने भक्तों को तार देते [मुक्ति देते] हैं, जो पवित्रों में भी सबसे पवित्र हैं और देवों के द्वारा पूजित हैं, उन दरिद्रता के दुःख को जलाने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीत-प्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङ्गचर्म वसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय।8।

जो मुक्तजनों के स्वामी हैं, चारों अर्थों [धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष] की प्राप्ति कराते हैं, जिन्हें गीत प्रिय हैं, बैलों के राजा नंदी जिनके वाहन हैं, जो गजचर्म को वस्त्र की तरह धारण करने वाले महादेव हैं, उन दरिद्रता के दुःख को भस्म करने वाले शिव को मैं प्रणाम करता हूँ।

फलश्रुतिः-
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणं।
सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्।9।

ऋषि वसिष्ठ के द्वारा लिखित यह स्तोत्र सभी रोगों का निवारण करता हैं, यह शीघ्र ही सभी प्रकार की सम्पन्नता देकर पुत्र-पौत्रों की वृद्धि करता है, जो नित्य प्रतिदिन तीनों समय इसका पाठ करता है, उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त होता है।

॥इति वसिष्ठ विरचितं दारिद्र्यदहनशिवस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

इस प्रकार वसिष्ठ ऋषि के द्वारा रचित दारिद्र दहन शिव स्तोत्र पूरा हुआ।

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